Tuesday, January 19, 2010

national game on Compassion ....?

होकी हमारे देश का राष्ट्रीय खेल है, और हम को इस पर नाज़ होना चाहिए, पर ऐसा है नहीं होकी फेडरेशन के हालात से तोह ऐसा नहीं लगता के हम इस पर नाज़ करें, अगर हम दुसरे देशों के राष्ट्रीय खेलों पर नज़र डालेंगे तोह उन खेलो की इतनी बुरी हालत नहीं मिलेगी जितनी हम को हिंदुस्तान मैं होकी की मिलेगी, हिंदुस्तान प्रगतिशील देश है, और ऐसे देश मैं जहाँ इंसान तेज़ी से तार्राकी कर रहा है,इतनी तार्राकी कर चूका है की 40 रुपये  किलो की शक्कर खा रहा है और दालों का तो नाम ही न लीजिये गह, नई नई तकनीकों से अपने आप को बड़ा साबीत करने मैं लगा हुआ है, ऐसे में राष्ट्रीय खेल का यह हश्र,सच मैं अफ़सोस का मुक़ाम है, आज होकी का यह हाल है की न तो कोई उसको देखना चाहता है न ही खेल न अब अगर यह सवाल पुचा जाये की  क्यों ? तोह इस का जवाब आपके सामने है, वोह तोह भला हो सहारा समूह का जिस ने 1 करोर की भीक होकी फेडरेशन की झोली मैं समय रहते डाल दी, जिस के लिए सहारा की जितनी तारीफ की जाये कम है, और फेडरेशन के लिए डूब मरने वाली बात है पर यह कोई नई बात तोह है नहीं, ( भला हम क्यों डूब  के मरे ) इस भीक से यह साबित हो गया की अगर सहारा समूह यह पेसे नहीं देता, तो ( इ लव माय इंडिया ) और(मेरा  भारत महान ) जेसे नारा लगा ने वाले हमरे देश के नेता और हमारे देश की सरकारी   संचालित संस्थाए, 2010 के होकी के विश्व कप से हमको वंचित करवा देते, और हमारी बदकिस्मती यह होती के हमारा देश ही इस विश्व कप का मेज़बान होता,  अब क्यों की खिलाड़ी तो कमर कस चुके थे के पेसे नहीं मिलेंगे तो हम खेलंगे नहीं....वोह भी बेचारे क्या करें, क्रिकेट  के खिलाडियों की तरह तोह इन  राष्ट्रीय खिलाड़िओं को इज्ज़त दी नहीं जाती है, जब के य़ेह उस खेल के खिलाड़ी हैं जिसको हमरे देश ने राष्ट्रीय खेल की इज्ज़त बक्श राखी है, ( यह अलग बात है की वोह सिर्फ नाम की है ) ....वेसे हमारी सर्कार को सहारा समूह का धन्येवाद देना चाहिए की उसने हमरे 1 अरब से जायदा तादाद वाले  हमरे  ( मेरा भारत महान ) की इज्ज़त रख ली.